जब जर्मन इंजिनियर फिलिप एच डियल ने 1892 में सीलिंग फैन का आविष्कार किया था, तब उन्हें अंदाजा नहीं होगा कि गर्मी से राहत पाने के अलावा इसे सूइसाइड करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। मगर अब इस समस्या का इलाज भी मिल गया है। मध्य प्रदेश के एक कार्डियॉलजिस्ट ने सूइसाइड-प्रूफ सीलिंग फैन बनाया है।
जबलपुर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में प्रेफेसर आर.एस. शर्मा ने बड़ी ही सिंपल टेकनीक यूज करते हुए यह सूइसाइड प्रूफ फैन तैयार किया है। उन्होंने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले एक टीनेजर ने 12वीं के एग्ज़ाम में फेल होने के बाद सीलिंग फैन से लटककर सूइसाइढ कर लिया था। शर्मा बताते हैं कि बच्चे की मौत के बाद उसकी मां कई दिनों तक उस मनहूस दिन को कोसती रही थीं, जब उन्होंने टेबल फैन की जगह सीलिंग फैन लगाया था। इस वजह से डॉक्टर ने एक ऐसा सीलिंग फैन बनाने के बारे में सोचा, जिसे आत्महत्या के लिए इस्तेमाल न किया जा सके।
एक हफ्ते तक डिजाइन पर विचार करने के बाद उन्होंने मकैनिक और वेल्डिंग करने वाले की दुकान के कई चक्कर काटे और आखिरकार उन्हें हल मिल ही गया। उनके तैयार किए इस डिवाइस मोटर और ब्लेड को छत से जोड़ने वाली मेटल की खोखली ट्यूब लगी है। इस शाफ्ट में 4 हेवी स्प्रिंग्स लगाए गए हैं, जो कि मोटर और ब्लेड्स के अलावा 25 किलो का एक्स्ट्रा वजन झेल सकते हैं। अगर कोई सूइसाइड के इरादे से इस फैन से लटकता है, तो वजन पड़ते ही स्प्रिंग खिंच जाएंगे। इस तरह से सूइसाइड के लिए लटकने वाले के पैर आराम से जमीन पर लग जाएंगे।
जबलपुर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में प्रेफेसर आर.एस. शर्मा ने बड़ी ही सिंपल टेकनीक यूज करते हुए यह सूइसाइड प्रूफ फैन तैयार किया है। उन्होंने बताया कि उनके पड़ोस में रहने वाले एक टीनेजर ने 12वीं के एग्ज़ाम में फेल होने के बाद सीलिंग फैन से लटककर सूइसाइढ कर लिया था। शर्मा बताते हैं कि बच्चे की मौत के बाद उसकी मां कई दिनों तक उस मनहूस दिन को कोसती रही थीं, जब उन्होंने टेबल फैन की जगह सीलिंग फैन लगाया था। इस वजह से डॉक्टर ने एक ऐसा सीलिंग फैन बनाने के बारे में सोचा, जिसे आत्महत्या के लिए इस्तेमाल न किया जा सके।
एक हफ्ते तक डिजाइन पर विचार करने के बाद उन्होंने मकैनिक और वेल्डिंग करने वाले की दुकान के कई चक्कर काटे और आखिरकार उन्हें हल मिल ही गया। उनके तैयार किए इस डिवाइस मोटर और ब्लेड को छत से जोड़ने वाली मेटल की खोखली ट्यूब लगी है। इस शाफ्ट में 4 हेवी स्प्रिंग्स लगाए गए हैं, जो कि मोटर और ब्लेड्स के अलावा 25 किलो का एक्स्ट्रा वजन झेल सकते हैं। अगर कोई सूइसाइड के इरादे से इस फैन से लटकता है, तो वजन पड़ते ही स्प्रिंग खिंच जाएंगे। इस तरह से सूइसाइड के लिए लटकने वाले के पैर आराम से जमीन पर लग जाएंगे।
प्रफेसर ने अपने इस डिवाइस के पेटेंट के लिए अप्लाई किया है। उन्हें उम्मीद है कि इन पंखों को हॉस्टल और घरों में यूज करके सैकड़ों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी। शर्मा ने कहा, 'आईआईटी की चार मेंबर्स वाली कमिटी ने स्टूडेंट्स में बढ़ रहे सूइसाइड को रोकने के लिए सजेस्ट किया है कि सीलिंग फैन के बजाए टेबल फैन लगाए जाएं। मगर ऐसा करने के बजाए बेहतर होगा कि इस टेकनीक वाले पंखे लगाए जाएं।' शर्मा फिलहाल इस फैन के बेहतर और टिकाऊ डिजाइन पर काम कर रहे हैं।
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