10 जुलाई 2014

हमें अभिमान है...



हमें अभिमान है कि हम शिक्षित हो गये | हमें अभिमान है कि हम गणितज्ञ हो गये | हमें अभिमान है कि हम साइंटिस्ट हो गए | हमें अभिमान है कि हम डॉक्टर हो गये, इंजीनियर हो गये, प्रोफ़ेसर हो गये.....

लेकिन इस होने के भागमभाग में इतना भी समय नहीं मिला कि हम सोच या समझ पायें कि हम कहाँ खो गए ?

कहने को तो बड़ी बड़ी डिग्रियाँ हैं हमारे पास लेकिन उन अनपढ़ पशु-पक्षियों के ज्ञान से कोसों दूर जो बिना गणित और विज्ञान सीखे भी, विपदा में स्वयं की व अपनी प्रजाति की रक्षा कर लेते हैं |

कहने को तो हम गणितज्ञ व साइंटिस्ट बन गए, लेकिन उन जानवरों से बदतर हो गए जो बाहरी शत्रुओं से एक जुट होकर मुकाबला करते हैं |

कहने को तो हम गणितज्ञ व साइंटिस्ट हो गये, लेकिन उन पक्षियों से गये गुजरे जो बिना किसी यंत्र के एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव पर बिना भटके भ्रमण कर लेते हैं | लेकिन हम अपने ही देश में अपने ही लोगों के बीच में भटक रहें हैं |

कहने को तो पढ़े-लिखों की बहुत बड़ी आबादी बस गयी, लेकिन लोग सभी अकेले हो गये |

कहने को तो साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है, लेकिन संस्कार, संस्कृति व मानवता के स्तर पर हम बहुत गिर गए |

कहने को तो हम आधुनिक हो गए, लेकिन उस युग में पहुँच गए जिस जब वैवाहिक मान्यताएँ नहीं बनीं थी और आधुनिक नाम दे दिया 'Live-in-Relationship'

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