और मैं अपना नाम लिखता हूँ अपनी पोस्ट के नीचे तो बुराई ही क्या है ?
आज मैं देख रहा हूँ कि कई लोगों ने अपने पोस्ट के नीचे अपना नाम लिखना शुरू भी कर दिया और लिखना भी चाहिए | क्योंकि आप उतने ही श्रेष्ठ हैं जितना कि कोई और क्योंकि ईश्वर की दृष्टि में कोई कम या अधिक नहीं है | यदि आप अपना नाम पोस्ट के नीचे लिखते हैं तो यह तय है कि आप कितने भी मक्कार क्यों न हों, कम से कम अपने नाम को खराब नहीं करना चाहेंगे | फेक आईडी वालों की बात दूसरी है, उनके तो पोस्ट और उद्देश्य दोनों ही फेक होते हैं |
मुझे यह प्रेरणा मिली श्रीकृष्ण से क्योंकि बचपन में ही एक आदर्श गुरु के रूप में मेरी माँ ने उनकी छवि बैठा दिया था | वे स्वयं श्रीकृष्ण भक्त थीं इसलिए श्रीकृष्ण की कहानियाँ बचपन से ही सुनने को मिल गयी थी | बड़े होने के बाद भी मैंने पाया कि श्रीकृष्ण ने जितनी स्पष्टता से स्वयं को प्रस्तुत किया, उतनी स्पष्टता शायद पहले किसीने ने नहीं दिखाई | कई लोगों को शिकायत है कि वे अपनी ही बात करते हैं और कहते हैं अहम् ब्रह्मास्मि... या फिर मैं कण कण में वास करता हूँ, मैं हर जीव में वास करता हूँ.... आदि इत्यादि |
जरा ठन्डे दिमाग से सोचिये कि जब आप कहते हैं मैं कण कण में हूँ तो आप स्वयं जुड़ जाते हैं कण कण से | जब आप कहते हैं अहम् ब्रह्मास्मि, तो आप स्वयं सम्पूर्ण ब्रम्हांड से जुड़ जाते हैं... यही सीधी सी बात थी जो वे समझा गये लेकिन लोगों को लगा कि वे अहंकारी हैं और स्वयं को ही भगवन स्वयं ही कह रहे हैं | जबकि वे तो यह समझा रहे थे कि स्वयं को जगत से अलग मत समझो और न ही ईश्वर से अलग समझो | हम सभी आपस में कहीं न कहीं किसी न किसी रूप से जुड़े हुए ही हैं |
बस यही कारण है कि मैं अहंकारी हो गया और दुनिया मुझे दूर हो गयी क्योंकि वे स्वयं से घृणा करते हैं और दूसरों से प्रेम | वे दूसरों की तरह होना चाहते हैं न कि स्वयं की अच्छाइयों और मौलिक्ताओं को खोजना चाहते हैं |
शुरुआत करिए अपने नाम का अर्थ जानने से, क्योंकि हर नाम अपनी एक उर्जा शक्ति लिए रहती है | जितनी बार आप स्वयं का नाम लिखेंगे किसी महत्वपूर्ण स्थान पर उतनी ही अधिक उसकी सकारात्मक उर्जा बढ़ेगी | और यह शुद्ध वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है | नाम की उर्जा का महत्व जब ऋषियों को समझ में आया तो उन्होंने इसे सह्त्र्नाम और नाम जाप में प्रयोग करना शुरू किया | आज तक यही परम्परा चली आ रही है लेकिन बिना कारण को समझे |
इसलिए अपने नाम को भी महत्व दीजिये क्योंकि वे नाम आपको आपके माता पिता से मिले हैं एक विशेष उर्जा के प्रभाव से | जब आप स्वयं को महत्व देने लगेंगे तो स्वाभाविक है कि आप दूसरों को दिखावटी सम्मान नहीं, वास्तविक सम्मान दे पायेंगे | ~विशुद्ध चैतन्य
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