आज सुबह सुबह हेन्गोवर के कारण परेशान था और सर बहुत ही दुःख रहा था | रात बहुत ही ज्यादा पी ली थी.....
असल में हुआ यह कि मैं कहीं गड्ढा खोद रहा था एक पौधा लगाने के लिए और तभी गाँववाले आ गए | किसने ने कहा कि शायद इनको अपनी मौत के समय का पता चल गया इसलिए ही कब्र खोदना शुरू कर दिया | किसीने का कहा कि कोई भविष्यवाणी हुई होगी.....सबके अपने अपने विचार थे | तभी किसी ने सुझाव दिया कि महाराज आप तो मरने वाले हैं ही, तो जाते जाते कोई भला काम क्यों नहीं करके जाते ? वैसे भी जीवन भर कोई काम तो किया नहीं किसी के लिए ?
मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि उसपर डाली |
देखिये महाराज यदि आप गड्ढा खोद ही रहे हैं तो कम से कम इतना गहरा खोद दीजिये ताकि पानी निकल आये | हम लोग आपकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे |
तभी दूसरा बोल पड़ा कि तालाब बना दो स्वामी जी, हम उसमें मछली पालेंगे और बच्चों के तैरने के काम भी आ जायेगा |
एक और बोल पड़ा: "महाराज सुरंग बना दो बाबाधाम तक.... सड़क में भीड़ बहुत होती है हम लोग भीतर ही भीतर चले जाया करेंगे दर्शन करने को...."
मेरा दिमाग भन्ना गया और कुदाल उनके हाथ में पकड़ाया और बोला, "यह रही कुदाल और जिसको जो खोदना हो खोद लो..."
थोड़ी देर बाद जाकर देखा तो लोग गायब हो चुके थे और दो तीन लोग बचे थे वे भी आश्रम के गेट तक पहुँच चुके थे | मैंने आवाज लगाईं, "अरे क्या हुआ ? जा क्यों रहे हो ?"
"हमारे पास अपने बहुत से काम हैं आपकी तरह फालतू नहीं बैठे हुए हैं हम लोग ! साँस लेने की भी फुर्सत नहीं है.....!" यह कह कर वे भी चले गए | मैं अपने कमरे में आ गया और पूरी बोतल पी गया |
आँख खुली तो सर में दर्द था लेकिन यह जानकर ख़ुशी हुई कि सपना था सब कुछ....लेकिन फिर सोचा कि सपने में एक बात जो पता चली कि सलाहकारों की कोई कमी नहीं है | दूसरे को क्या करना चाहिए कैसे करना चाहिए, क्या लिखना चाहिए, किस पर लिखना चाहिए...... हर कोई बता देता है | लेकिन जब कहो कि खुद क्यों नहीं कर रहे तो गधे के सर से सींग की तरह गायब हो जाते हैं |
लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा कि सपने में पी थी तो हेंगओवर अभी तक क्यों है ? -विशुद्ध चैतन्य
असल में हुआ यह कि मैं कहीं गड्ढा खोद रहा था एक पौधा लगाने के लिए और तभी गाँववाले आ गए | किसने ने कहा कि शायद इनको अपनी मौत के समय का पता चल गया इसलिए ही कब्र खोदना शुरू कर दिया | किसीने का कहा कि कोई भविष्यवाणी हुई होगी.....सबके अपने अपने विचार थे | तभी किसी ने सुझाव दिया कि महाराज आप तो मरने वाले हैं ही, तो जाते जाते कोई भला काम क्यों नहीं करके जाते ? वैसे भी जीवन भर कोई काम तो किया नहीं किसी के लिए ?
मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि उसपर डाली |
देखिये महाराज यदि आप गड्ढा खोद ही रहे हैं तो कम से कम इतना गहरा खोद दीजिये ताकि पानी निकल आये | हम लोग आपकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे |
तभी दूसरा बोल पड़ा कि तालाब बना दो स्वामी जी, हम उसमें मछली पालेंगे और बच्चों के तैरने के काम भी आ जायेगा |
एक और बोल पड़ा: "महाराज सुरंग बना दो बाबाधाम तक.... सड़क में भीड़ बहुत होती है हम लोग भीतर ही भीतर चले जाया करेंगे दर्शन करने को...."
मेरा दिमाग भन्ना गया और कुदाल उनके हाथ में पकड़ाया और बोला, "यह रही कुदाल और जिसको जो खोदना हो खोद लो..."
थोड़ी देर बाद जाकर देखा तो लोग गायब हो चुके थे और दो तीन लोग बचे थे वे भी आश्रम के गेट तक पहुँच चुके थे | मैंने आवाज लगाईं, "अरे क्या हुआ ? जा क्यों रहे हो ?"
"हमारे पास अपने बहुत से काम हैं आपकी तरह फालतू नहीं बैठे हुए हैं हम लोग ! साँस लेने की भी फुर्सत नहीं है.....!" यह कह कर वे भी चले गए | मैं अपने कमरे में आ गया और पूरी बोतल पी गया |
आँख खुली तो सर में दर्द था लेकिन यह जानकर ख़ुशी हुई कि सपना था सब कुछ....लेकिन फिर सोचा कि सपने में एक बात जो पता चली कि सलाहकारों की कोई कमी नहीं है | दूसरे को क्या करना चाहिए कैसे करना चाहिए, क्या लिखना चाहिए, किस पर लिखना चाहिए...... हर कोई बता देता है | लेकिन जब कहो कि खुद क्यों नहीं कर रहे तो गधे के सर से सींग की तरह गायब हो जाते हैं |
लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा कि सपने में पी थी तो हेंगओवर अभी तक क्यों है ? -विशुद्ध चैतन्य
Ha Ha :)
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