13 जनवरी 2015

यदि आप अपने राजनेताओं को दिल से प्रेम करते हैं तो उनके गुणों को भी अपनाएँ

आदर्श आप किसी को भी बना सकते हैं और अच्छी बातें आप किसी से भी सीख सकते हैं, बशर्ते आप के संस्कार अच्छे हों | क्योंकि संस्कार अच्छे होंगे तभी आप अच्छी बातें ग्रहण कर पाएंगे, अन्यथा तो बुराई ही दिखाई देंगी |

जैसे रावण से भी राम और लक्ष्ण ने ज्ञान लिए और मृत्युप्रांत भी उनका सम्मान रखा था |
भेड़ियों को चाहे हम कितना ही खूंखार या धूर्त कहें, लेकिन उनकी सामाजिक मर्यादाएं व नियम का कोई जोड़ नहीं है | उनकी एकता और संगठित होकर रणनीति बनाने की कला के साथ ही अपनी अपनी जिम्मेदारियों के लिए निष्ठा उनको एक श्रेष्ठ सामाजिक प्राणी के रूप में मान्यता देती है | जब सभी शिकार पर जाते हैं तब जो दुर्बल या अपाहिज भेड़िया होता है, वह बच्चों की देख रेख करता है |

नेताओं को हम गालियाँ देते नहीं थकते | लेकिन उनकी कई खूबियों को हम अपने जीवन में यदि उतार पायें तो हम भी समृद्ध हो सकते हैं | जैसे वे केवल चुनावकाल में ही शत्रु होते हैं और एक दूसरे की दिल खोल कर बुराई करते हैं, लेकिन चुनाव होने के बात पुनः मित्रवत हो जाते हैं | अपने दल का ही नहीं विपक्ष का भी कोई नेता कितना ही घोटाला कर ले, लेकिन उसे कोई सजा नहीं होने देते | और लूट का माल आपस में बाँट कर मिल-जुल कर रहते हैं | एक साथ मिलकर दंगा भड़काने वाले डायलोग पर काम करते हैं और दंगा भड़क जाने पर फिर एक दूसरे पर कीचड उछालते हैं लेकिन शाम तक सब एक हो जाते हैं |

इसी प्रकार यदि हम भी आपस में एक दूसरे की गलतियों को माफ़ करके आपस में संगठित होकर प्रशासन की लापरवाही पर अंकुश लगाने का बीड़ा उठायें और तय करें कि हम भी दिखावे का दंगा करेंगे असली में किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचायेंगे नेताओं की तरह, फिर देखिये.... कैसे हमारा समाज भी समृद्ध होने लगेगा और नेताओं की सेहत गिरने लगेगी |

यदि आप अपने राजनेताओं को दिल से प्रेम करते हैं तो उनके गुणों को भी अपनाएँ और आपस में राजनैतिक पार्टियों और नेताओं की तरह प्रेम-भाव रखिये | लड़िये-झगडिये, लेकिन नेता स्टाइल में | जैसे संसद में कुर्सी फेंक कर वे अपना विरोध प्रकट करते हैं लेकिन फिर आपस में एक हो जाते हैं | ~विशुद्ध चैतन्य

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