कुछ लोग बे सर पैर के बयान दे देते हैं और फिर गायब हो जाते हैं... फिर ब्रॉडकास्ट मीडिया से लेकर सोशल मिडिया तक उस बयान की जुगाली करते रहते हैं.... दूसरा कोई विषय होता ही नहीं है फिर किसी और के पास.....
कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है ?
पहले तो यह देखिये कि कितने न्यूज़ चैनल अम्बानी और उनके सहयोगियों के हैं, फिर देखिये कि कितने विदेशियों के रहमों-करम पर हैं, फिर देखिये कि किस संगठन को क्या लाभ है और उनके कितने सदस्य सोशल मिडिया में सक्रिय हैं, फिर देखिये कि मीडिया पर वे खर्च कितना कर रहे हैं.....फिर देखिये कि कितने करोड़ के टैक्स की माफ़ी सरकार व्यापरियों को दे रही है, फिर देखिये कि कैसे कौड़ियों के भाव में देश की जमीन बेचीं जा रही है, फिर देखिये कि लाब राष्ट्र व नागरिकों को कितना हो रहा है पूंजीपतियों को कितना हो रहा है... और अंत में देखिये कि आपके अपने एक पोस्ट को एक दिन के प्रोमोशन या एक हज़ार लाइक्स के लिए 300/- से 2500/- रूपये खर्च कर सकते हैं या नहीं.... उसके बाद समझ में आएगा कि आपकी औकात क्या है...साथ ही समझ में आएगा कि राष्ट्रीय विकास व कल्याण के मुद्दे गायब क्यों हो गये और घरवापसी, हिन्दू-राष्ट्र, हिंदुत्व और धर्मों के नाम पर अचानक उपद्रव कैसे शुरू हो गये ?
क्यों दुनिया भर के शक्ति शाली देश मिलकर भी आईसीस और अलकायदा का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे..?
क्योंकि ये सारे उपद्रव जानबूझ कर खड़े किये गये हैं धार्मिक भेड़ों को मुर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करने के लिए | अब अपनी अक्ल लगाइए मेरी बातों में न आइये, और जानने का प्रयास कीजिये कि इन सब उपद्रवों से जनता या राष्ट्र को क्या लाभ होने वाला है और कुछ विशेष लोगों को क्या लाभ होगा | ये प्रचार-प्रसार में जो धन खर्च किये जा रहे हैं वे किसके हैं ? ~विशुद्ध चैतन्य
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