
वहीँ दूसरी तरफ हिंदुत्व के ठेकेदारों ने अलग ही उपद्रव मचा रखा है कि ॐ का उचारण नहीं होगा तो शिव भगवान् अपमान हो जाएगा | सूर्यनमस्कार नहीं होगा तो सूर्य का अपमान हो जाएगा | चाहे इन्होने खुद कभी योगासन न किया हो, चाहे सूर्यनमस्कार न किया हो कभी, लेकिन अब चीखेंगे चिल्लायेंगे जरुर | क्योंकि अब मामला हिन्दू-मुसलमान का हो गया है | अब तो योग किये बिना ही मजा आने लगा है योग का | कब्र में लटके पैर अब कुलाचें मारने लगे हैं, क्योंकि मुस्लिमों से पंगा लेने मिल गया | उम्र के अंतिम पड़ाव में एक आशा की किरण दिखने लगी है कि शायद इसी बहाने देश भर में दंगा भड़क जाये और लोगों की चिताओं और ताबूतों से मोटी कमाई का जरिया खुल जाये | चिताओं में सिंकी रोटियों का स्वाद धर्म और राजनीति के ठेकेदारों से अच्छा और कौन जान सकता है ? आम नागरिक तो सपने में भी किसी निर्दोष की चिता पर सिंकी रोटियाँ खाने का सोच नहीं सकता, जबकि धर्मों और राजनीती के ठेकेदारों और उनके दुमछल्लों के मुँह तो ऐसी रोटियों का स्वाद लगा हुआ है सो वे हर उस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं, लोगों को लड़ाया जा सके | घी का कनस्तर और माचिस लिए हमेशा घूमते रहते हैं ऐसे लोग ताकि चिंगारी दिखे और भड़का दो आग | लेकिन पिछले सात वर्षो में पकिस्तान के योगी हैदर के विषय में इनको नहीं पता चला | इनको नहीं पता चला कि किन कठिनाइयों में वे पाकिस्तान जैसे दड़बे में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं |
भारत, नेपाल और तिबब्त में योग सीख चुके, योगी शमशाद हैदर पाकिस्तान में योग के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं.

योगी हैदर ने जहाँ पकिस्तान में योग का प्रचार प्रसार किया, वहीं उसे धर्मान्धों और धर्म के ठेकेदारों की कोप-दृष्टि से भी बचाने का प्रयास किया |
भारत में कुछ लोग नेताओं के दुमछल्ले होने का फर्ज अदा कर रहे हैं और योगासनों का मजाक उड़ा रहे हैं या फिर योगासन की महिमा कुछ ऐसे बखान कर रहे हैं, जैसे भारत में पैदा होने वाला हर बच्चा योगासन करता हुआ ही बड़ा हुआ है | शोर मचा रखे हैं योग दिवस का, योगी हैदर ने कौन सा योग दिवस मनाया या योग दिवस के भरोसे बैठे रहे ? होता क्या है ये योग दिवस, महिला दिवस, पापा-दिवस, मम्मी-दिवस..... ? एक दिन की नौटंकी और उसके बाद ?
अभी कुछ दिन पहले स्वच्छता अभियान के नाम पर 'कचरा-दिवस' मनाया गया, क्या हुआ उसके बाद ? कचरा अपनी जगह और दिवस बदलते चले गये | कई नेता-अभिनेताओं ने कचरा-दिवस मनाया, उन लोगों ने भी कचरा दिवस मनाया जिन्हें झाड़ू पकड़ना भी नहीं आता..... केवल फोटो खिंचवाने के लिए | उसके बाद.... ? कचरा अपनी जगह और दिवस बदलते चले गये | योग हर किसी के लिए लाभकारी है, जिन्हें करना है करें नहीं करना है न करें, उपद्रव करने की आवश्यकता क्या है ?

लोग अपना रहे हैं अपनी तरह से करते चले आ रहे हैं और अब उसमें भी आप लोगों ने जहर घोलना शुरू कर दिया | न तो देश के लिए कुछ किया न ही समाज के लिए कुछ किया.... सिवाय राजनीति, दंगा-फसाद के आप लोगों ने दिया क्या है इस देश को ? चौबीसों घंटे हिन्दू-मुस्लिमों के बीच खाई खोदते-खोदते उम्र गुजर गयी लेकिन अक्ल फिर भी नहीं आई | धर्म तो मानवता और प्रेम सिखाता है और आप लोग धर्मों के नाम पर नफरत की दीवारें खड़ी कर रहे हो | अरे पहले धर्म को तो ठीक से समझ लो फिर ठेकेदारी लेना धर्मों की | अभी तो आप लोग ठेकेदारी तो दूर, अपने बच्चों की जिम्मेदारी लेने लायक भी नहीं हो | क्या सिखाते हो अपने बच्चों को, यही की दंगा भड़काओ, लोगों को उकसाओ, आग लगाओ, जहाँ भी लोग मिल बैठें वहाँ जाकर नफरत फैलाओ ?
क्या यही सब सीखा गीता, कुरान, पुराण पढ़कर आप लोगों ने ? क्या यही सब लिखा हैं उनमें ? ~विशुद्ध चैतन्य
"एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आंधी को इशारा करके"-राहत इन्दौरी

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