कलाम साहब को मैं सनातनी मानता हूँ क्योंकि वे धर्मों के ठेकेदारों की तरह लोगों को भेड़-बकरी नहीं बनाना चाहते थे | वे चाहते थे कि युवा वर्ग कुछ नया अविष्कार करें, कुछ नया सोचें..... और ऐसी सोच उसी की हो सकती है, जो धार्मिक दड़बों से स्वयं मुक्त हो चुका हो | और जो धार्मिक दड़बों से मुक्त हो जाए वह सनातन धर्म में स्वतः आ जाता है | सनातन धर्म बंधन नहीं, मुक्ति का पाठ सिखाता है और किसी किताब से सनातन धर्म को नहीं समझा जा सकता | सनातन धर्म को आत्मा की गहराई से और कलाम जैसे महान आत्माओं से समझा व सिखा जा सकता है | ~विशुद्ध चैतन्य

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