28 जुलाई 2015

युवाओं के लिए विशेष संदेशः


"अलग ढंग से सोचने का साहस करो, आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो. ये वो महान गुण हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो."

कलाम साहब को मैं सनातनी मानता हूँ क्योंकि वे धर्मों के ठेकेदारों की तरह लोगों को भेड़-बकरी नहीं बनाना चाहते थे | वे चाहते थे कि युवा वर्ग कुछ नया अविष्कार करें, कुछ नया सोचें..... और ऐसी सोच उसी की हो सकती है, जो धार्मिक दड़बों से स्वयं मुक्त हो चुका हो | और जो धार्मिक दड़बों से मुक्त हो जाए वह सनातन धर्म में स्वतः आ जाता है | सनातन धर्म बंधन नहीं, मुक्ति का पाठ सिखाता है और किसी किताब से सनातन धर्म को नहीं समझा जा सकता | सनातन धर्म को आत्मा की गहराई से और कलाम जैसे महान आत्माओं से समझा व सिखा जा सकता है | ~विशुद्ध चैतन्य



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