प्रश्न: आपके अनुशार '''''मोक्ष''' केसे परिभिषित किया जा सकता है ?
मोक्ष का मेरे अनुसार परिभाषा बनती है संतुलन | जब हम भौतिक जगत में होते हैं तो यह समझाया जाता है कि मोक्ष भौतिक जगत छोड़ने पर मिलेगा, लेकिन जब शरीर छूट जाता है तब पता चलता है कि कुछ मोक्ष भौतिक जगत में ही मिलता है और वह फिर वापस आता है | यह आना-जाना तब तक चलता रहता है जब तक हम संतुलित नहीं हो जाते, जब हम समझ जाते हैं कि अति से गति नहीं हो सकती | जब हम भौतिक और आध्यात्मिक जगत के बीच की उस स्थिति को पा लेते हैं जहाँ केवल आनंद ही आनंद है |
आनंद का अर्थ यह नहीं की सारे दिन चारपाई पर पसरें रहें.... आनंद का अर्थ है कि आप अपने वर्तमान स्थिति को पूर्णता से जीना आरम्भ कर देते हैं | जैसे एक माँ अपने बच्चे के लिए सारी तकलीफ उठाने को तैयार रहती है लेकिन उसे कभी कोई कष्ट या दुःख का अनुभव नहीं होता | जैसे एक पति या पत्नी अपने साथी के लिए जो कुछ करता है वह कोई कष्ट नहीं होता वह उन्हें आनंद प्रदान करता हैं |
तो कहने का तात्पर्य यह कि जब हम भौतिक जगत में हैं तब हम अपने शरीर व इस जगत का सम्मान करें और जब शरीर न रहे तब भी हम उस स्थिति का सम्मान कर पायें इस योग्य बनना ही मोक्ष है | ~विशुद्ध चैतन्य
मोक्ष का मेरे अनुसार परिभाषा बनती है संतुलन | जब हम भौतिक जगत में होते हैं तो यह समझाया जाता है कि मोक्ष भौतिक जगत छोड़ने पर मिलेगा, लेकिन जब शरीर छूट जाता है तब पता चलता है कि कुछ मोक्ष भौतिक जगत में ही मिलता है और वह फिर वापस आता है | यह आना-जाना तब तक चलता रहता है जब तक हम संतुलित नहीं हो जाते, जब हम समझ जाते हैं कि अति से गति नहीं हो सकती | जब हम भौतिक और आध्यात्मिक जगत के बीच की उस स्थिति को पा लेते हैं जहाँ केवल आनंद ही आनंद है |
आनंद का अर्थ यह नहीं की सारे दिन चारपाई पर पसरें रहें.... आनंद का अर्थ है कि आप अपने वर्तमान स्थिति को पूर्णता से जीना आरम्भ कर देते हैं | जैसे एक माँ अपने बच्चे के लिए सारी तकलीफ उठाने को तैयार रहती है लेकिन उसे कभी कोई कष्ट या दुःख का अनुभव नहीं होता | जैसे एक पति या पत्नी अपने साथी के लिए जो कुछ करता है वह कोई कष्ट नहीं होता वह उन्हें आनंद प्रदान करता हैं |
तो कहने का तात्पर्य यह कि जब हम भौतिक जगत में हैं तब हम अपने शरीर व इस जगत का सम्मान करें और जब शरीर न रहे तब भी हम उस स्थिति का सम्मान कर पायें इस योग्य बनना ही मोक्ष है | ~विशुद्ध चैतन्य
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