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भारत पाकिस्तान बँटवारे के समय का दृश्य |
शायद यही कारण था कि गांधी जी गाय या भैंस का दूध नहीं, बल्कि बकरी का दूध पीते थे | ताकि बकरी की तरह फुर्तीले व चुस्त दुरुस्त रहें |
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।
धर्म के नाम हुए इस विभाजन में दंगे-फसाद और मारकाट के बीच मानवता जितनी शोषित, पीड़ित, और छटपटाई है उतनी किसी घटना में नहीं हुई। 10 हजार से ज्यादा महिलाओं का अपहरण किया गया, उनके साथ बलात्कार हुआ, जबकि सैंकड़ों बच्चे अनाथ हो गए, कई मारे गए।
एक अनुमान के मुताबिक विभाजन की इस रूह कंपा देने वाली और मानवजाति के इतिहास को शर्मिंदा कर देने वाली इस त्रासदी में तकरीबन 20 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। इसके बाद आजाद हिंदुस्तान और आजाद भारत दोनों में ही विस्थापन के बाद अपना सबकुछ छोड आए लोगों को अपने जीवन को पटरी पर लाने के लिए, घरबार काम धंधा दोबारा जमाने के लिए शरणार्थी बनकर जिस अमानवीय त्रासदी से गुजरना पड़ा वह तो एशिया के इतिहास का काला अध्याय है।
विभाजन का यह काला अध्याय आज भी इतिहास के चेहरे पर विस्थापित हुए, भगाए गए, मारे गए, भटक कर मौत को गले लगाने वाली मनुष्यता के खूने के छींटों से भरा है। इतिहास गवाह है, सियासत ने अपने ख्वाबों को तो पूरा किया, लेकिन धर्म के नाम पर, जाति के नाम भोली-भाले इंसानों को हिंदू और मुसलमानों में बांटकर। सियासतदान तो चले गए, लेकिन जनता के दिलों में, पीढ़ियों के दिलों में खूनी विभाजन और विस्थापन यह दर्द आज भी आधी रात को रह-रहकर उठता है..!
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