
जीडीपी कहती है कि महँगाई दर घटी है जबकि भुखमरी कहती है कि महँगाई दर बढ़ी है | जीडीपी कहती है कि आज से दो वर्ष पहले बहुत गरीबी थी और लोग पचपन रूपये किलो वाली सस्ती दाल खाने को विवश थे, जबकि आज लोग इतने अमीर हो गये कि दो सौ रूपये किलो की दाल भी हँसते हँसते खाते हैं और मोदी जी की जयकारा गाते हैं |
इसी प्रकार किताबी धर्म और वास्तविक धर्म यानि सनातन धर्म में अंतर है | सनातन धर्म में गलत को गलत कहा जाता है, जबकि किताबी धर्मों में अपने धर्म के अनुयाइयों को छोड़कर बाकी सभी को गलत कहा जाता है | किताबी धर्म में जो धर्म के नाम पर हत्या बलात्कार, लूटमार, गुंडागर्दी करना पाप नहीं है, जब तक वे अपने धर्म, जाति या पंथ के लोग कर रहे हैं | लेकिन दूसरे पंथ या धर्म के लोग करें तो पाप है, जबकि सनातन धर्म में लूटमार, हत्या, बलात्कार, गुंडागर्दी कोई भी करे, किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, जाति का हो, अमीर हो या गरीब हो, अम्बानी हो या अदानी हो.... अपराधी ही माना जाएगा |
किताबी धर्म पढ़कर भी लोग निर्दोषों मासूमों पर अत्याचार कर सकते हैं, और किताबी धार्मिक उनका समर्थन भी करेंगे | लेकिन सनातनी वही हो सकता है जो निर्दोषों और पीड़ितों के साथ खड़ा हो फिर सामने कितना ही बड़ा धार्मिक या प्रतापी क्यों न खड़ा हो | क्योंकि सनातनी जानता है कि जैसे ही कोई अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है, प्रकृति उसकी शक्ति नष्ट कर देती है और उसके बाद वह उतना ही लाचार और विवश होता है, जितना कि उसने अपनी शक्ति के बल पर कमजोरों और असहायों को किया था | सनातनी जनता है कि जैसे ही कोई किसी निर्दोष या असहाय की सहायता करना बंद कर देता है, वह धर्म विमुख हो जाता है और प्रकृति उसके सुख व सुरक्षा के सारे रास्ते बंद कर देती है |

इस प्रकार यह सिद्ध हो जाता है कि विज्ञानं गलत हो सकता है, लेकिन प्रकृति नहीं, किताबी ज्ञान और धर्म गलत हो सकते हैं, लेकिन सनातन धर्म नहीं | सनातन धर्म में सजा प्रकृति स्वयं ही देती है, उसे एजेन्ट्स या ठेकेदारों की कोई आवश्यकता नहीं है | आपने देखा ही होगा कि जिस व्यक्ति ने कभी किसी की सहायता नहीं की, कंजूसी में जीवन बिताया, उसका परिवार अपने इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाता रहता है | उसके कमाई का अधिकाँश हिस्सा अस्पताल, डॉक्टर और दवा

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