16 सितंबर 2016

क्या आपने कोई उपाय जलविभाग के अधिकारियों को सुझाया ?



बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली की सड़कों पर भटकता था, इस आशा में कि कहीं भंडारा चल रहा हो तो खाने को मिल जाए | और पीने के लिए पानी की खोज में कई कई किलोमीटर पैदल चला करता था | क्योंकि किसी के घर से माँग कर पानी पीने भी बहुत ही अपमानजनक लगता था और कभी बहुत बुरी हालत में किसी के घर से पानी माँग भी लिया तो दस पन्द्रह गालियाँ सुना देते थे |

तो जहाँ जहाँ प्याऊ थे या सरकार की तरफ से पीने के पानी की व्यवस्था थी, वहां पानी की रेहड़ी लगाकर लोग बैठ गये थे और फ्री में मिलने वाले पानी के नल को निकालकर उसे बंद कर रखे थे | मेरे पास एक रूपये भी फूटी कौड़ी भी नहीं होती थी कि मैं उनसे एक बूँद भी पानी खरीद पाता |

तब उस समय उन धूर्त पानी की रेहड़ी वालों पर बहुत गुस्सा आता था कि जहाँ से मैं पानी पहले पी लिया करता था, अब इन लोगों ने उस जगह न केवल अपनी दूकान लगा रखी है, बल्कि प्याऊ भी बेकार कर दिया |

चलिए मैं तो अपनी साधना में था, कुछ प्रयोग कर रहा था कुछ जानना चाहता था, कुछ खोज रहा था.... लेकिन जो ऊपर नहीं उठना चाहते, या जिनमें इतनी योग्यता नहीं है कि वे उपर उठने का कोई विचार कर सकें, उनकी क्या दुर्दशा होती होगी वह सोचिये | और ऐसे में कई जगह ऐसे भी थे जहाँ पानी दिन रात बहे जा रहा होता है क्योंकि लोगों में इतने सब्र नहीं होता कि नल खोल कर पानी पी लें या भर लें, वे नल ही उखाड़ फेंकते हैं | क्या आपने ऐसा कोई जगह देखा है ?

यदि देखा है तो पहला विचार क्या आया आपके मन में ?

क्या आपने कोई उपाय सोचा कि पानी भी व्यर्थ न हो और जिन्हें पानी की आवश्यकता है, उन्हें पानी भी मिल जाए ? क्या आपने कोई उपाय जलविभाग के अधिकारियों को सुझाया ?

यदि आज तक ऐसा नही किया तो कृपया अवश्य कीजिये | कोई अविष्कार कीजिये, अपनी कलात्मकता, अपनी इंजीनियरिंग की योग्यता को पहचानिए, खोजिये अपने भीतर... हो सकता है कि आप कोई बेहतर विकल्प सुझा पायें |

यह मैं आप लोगों से इसलिए कह रहा हूँ कि सरकारी अधिकारी इस योग्य नहीं होते कि वे अपना दिमाग लगा पायें, वे गुलाम नस्ल के प्राणी होते हैं, वे केवल आदेशों का पालन कर सकते हैं, रिश्वत ले सकते हैं और सिग्नेचर कर सकते हैं | उनकी विवशता को समझिये वे जनता के सेवक हैं, सहयोग के लिए ही बैठे हैं, लेकिन अक्ल गिरवी रखनी पड़ी उन्हें नौकरी पाने के लिए, इसलिए रिश्वत लेकर ब्याज चुकाते हैं, मूल तो वे आजीवन नहीं चुका पायेंगे | उन्हें आपके सहयोग की आवश्यकता है, उनका सहयोग कीजिये | ~विशुद्ध चैतन्य




इस विडियो को देखिये, कुछ लोगों को पानी के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है | इसलिए जल बचाने के लिए प्रतिबद्ध बनिए यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है |

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