आपने देखा होगा कि जब भी कोई शव यात्रा निकलती है तो मार्ग में खड़े लोग थोड़ी देर ठहर जाते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते है। यह हिन्दू धर्म का एक प्रमुख नियम है जिसके अनुसार शवयात्रा को देखने के बाद हमें मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
धार्मिक दृष्टिकोण के अलावा ज्योतिष की भाषा में भी शवयात्रा को देखना बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति शव यात्रा को देखता है तो उसके रुके हुए काम पूरे होने की संभावनाएं बन जाती हैं, उसके जीवन से दुख भी दूर होते हैं और उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
अब वैज्ञानिक बुद्धि लोग कहेंगे कि मैं अन्धविश्वास फैला रहा हूँ | अन्धविश्वास भी सबका अपना अपना होता है, जैसे आपको वैज्ञानिकों, डॉक्टर्स पर अन्धविश्वास है...कुछ लोगों को नेताओं, बाबाओं पर अन्धविश्वास है, कुछ लोगों को ईश्वरीय किताबों पर अन्धविश्वास है.... इसी प्रकार मुझे आध्यात्म पर विश्वास है |
मैं अपने विश्वास को अन्धविश्वास इसलिए नहीं कहूँगा क्योंकि मेरा विश्वास मेरे अनुभवों पर आधारित है, दूसरों की लिखी किताबों और खोजों पर नहीं | हाँ यह अवश्य होता है कि कई लोग मुझसे पहले ही बहुत से अनुभव प्राप्त कर चुके हैं और उन अनुभवों को उन्होंने किताबों में लिख दिया, फिर चाहे वह कोई धार्मिक ग्रन्थ हो या कॉमिक्स हो... यदि मैं उनके अनुभवों से सहमत हो पाता हूँ तो सहमती जताता हूँ, जैसे कि यह अर्थी वाली पोस्ट |
अर्थी = जीवन का सार/अर्थ समझाने वाली |
पूरे जीवन दुनिया भर के उपद्रव में लगे रहे और मृत्यु के बाद हुआ क्या ? मरघट तक गये भी तो चार लोगों के कंधो पर वह भी खाली हाथ | दुनिया भर की लूट-मार की, छल-कपट किया, अपनों से विश्वासघात किया, दूसरों के अधिकार छीने..... क्या सोचकर ?
बहुत ताकतवर बन जाओगे ? दुनिया को मुट्ठी में कर लोगे ?
लेकिन हुआ क्या ? चार लोग विदा करने जा रहे हैं कंधे पर लादे और कई तो मरघट तक भी नहीं आयेंगे साथ | उनमें से वे लोग भी होंगे जिनको खुश करने के लिए इतना कुछ किया, वे बैठे होंगे संपत्ति किसकों मिलेगी यह देखने के लिए |
अर्थी जीवन का अर्थ समझाती है उसे भी जो अर्थी देख रहा है और उसे भी जो शरीर त्याग चुका है | जिसने शरीर त्यागा इस समय उसके पास बहुत शक्ति है क्योंकि वह शरीर की सीमाओं से मुक्त है, लेकिन बहुत उदार भी | इस समय वह अपने शरीर के आस पास ही होता है और उन सभी के चेहरे पहचानने की कोशिश कर रहा होता है जिन्हें वह सबसे अधिक प्रेम करता था | उन चापलूस मित्रों को भी खोज रहा होता है जो उसे सलाह दिया करते थे | लेकिन कईयों को नहीं पाकर वह निराश हो जाता है और प्रण करता है कि अगले जन्म में ऐसे लोगों के बहकावे में आकर कोई गलत कार्य नहीं करूँगा | आपने देखा ही होगा कि आठ नौ वर्ष तक की आयु के बच्चे बहुत ही उदार होते हैं | क्योंकि उन्हें जन्म लेने से पहले की कुछ बातें याद रहतीं हैं | लेकिन फिर समाज उन्हें मार-पीट कर अपनी तरह ही बना लेता है |
तो जब भी कभी आप अर्थी देखें तो मन ही मन मृतक की आत्मा के लिए शांति की प्रार्थना करें | ऐसा करने पर आकस्मिक बहुत कुछ शुभ होने लगता है, क्योंकि आप भी आत्मा ही हैं, बस आपके पास अभी शरीर है और सामने वाले ने शरीर को दिया है | दो आपकी प्रार्थना का असर कई गुना आपको ही वापस लौटता है | इसलिए कहा जाता है कि अर्थी को देखकर ठहर जाएँ और सम्मान का भाव मन में लाकर मृतक व मृतक के परिवार के लिए सहनुभूति प्रकट करें मन ही मन |
मेरा अपना अनुभव है कि मैं जब कभी किसी इंटरव्यू के लिए जाता था और यदि उस समय राह में कोई शवयात्रा दिख दिख जाती तो तय है कि मुझे नौकरी मिल गयी और ऐसा ही होता था | ऐसे और भी कई उदाहरण है जिसमें मैंने पाया कि शवयात्रा देखा शुभ है यदि देखते ही हमने मृतक के लिए प्रार्थना की | इसाई भी ऐसा ही करते हैं... बाकी और पंथों में शवयात्रा दिखने पर प्रार्थना करने का रिवाज है या नहीं, यह मुझे नहीं पता | ~विशुद्ध चैतन्य
नोट: वैज्ञानिक बुद्धि के पढ़े-लिखे विद्वान् अपनी बुद्धि यहाँ खर्च न करें | क्योंकि जानता हूँ आपके दिमाग में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि जो मरघट के पास रहते हैं और हर रोज दिन में कई बार शवयात्रा देखते हैं उनके बिगड़े काम क्यों नहीं बनते ?
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