
पिछले कुछ दिनों से सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर अचानक तूफ़ान खड़ा हो गया | सरकार और उसके वफादार एक तरफ और दूसरी तरफ विरोधी पक्ष ही नहीं पाकिस्तान से लेकर यूएन तक सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्वास करने को तैयार नहीं है | मीडिया भी दो खेमों में बंट गया और दोनों ही अपनी अपनी तरफ से नए नये दावे कर रहे हैं | सरकार से प्रमाण माँगे जा रहे हैं सर्जिकल स्ट्राइक के और सरकार प्रमाण माँगने वालों को देशद्रोही बता रही है | सेना कह रही है कि हम अपनी कार्यवाही सार्वजानिक नहीं कर सकते, इसलिए हम जो कह रहे हैं उसपर विश्वास कर लो | फिर सेना की तरफ से मीडिया भी अलग अलग बातें कह रही है; कोई कह रहा है सेना ने सीमा रेखा नहीं पार की तो कोई कह रहा है पार की....
अब यदि ध्यान दें, तो यह ऐसा राजनैतिक खेल है जिसमें अब सेना भी शामिल हो गयी चाहे-अनचाहे |
लेकिन इस राजनैतिक खेल से छवि सेना की ही खराब हो रही है, ठीक वैसे ही जैसे महँगाई-एफडीआई वाले खेल खेलने वालों की छवि खराब हुई, जैसे राम और गाय की छवि ख़राब हुई रामराज्य वाली राजनीती से | इन नेताओं और राजनैतिक पार्टियों का कुछ नहीं बिगड़ना, क्योंकि ये सब तो इतने नीचे गिर चुके हैं कि अब और नीचे गिरने की कोई गुंजाइश ही नहीं बची | लेकिन सेना का नाम और उनके कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण के भाव को आघात पहुँचाना राजनैतिक लाभ के लिए न तो राष्ट्र-हित में हैं और न ही सेना के हित में | इससे सेना का मनोबल और जनता का विश्वास टूटता है |
यह स्वाभाविक है और सर्वविदित है कि सेना के बहुत से अभियान गोपनीय होते हैं और उसे सार्वजानिक नहीं किये जाते | जैसे कांग्रेस राज में हुए क्रॉस बॉर्डर सर्जिकल स्ट्राइक की गरिमा रखी गयी, उसका ढिंढोरा नहीं पीटा गया | क्योंकि सभी जानते थे कि ऐसा करने पर प्रमाण मांगे जायेंगे और वह देना देश हित में नहीं होगा | लेकिन इन मूर्खों की सरकार ने उसका भी न केवल ढिंढोरा पीटा, बल्कि चुनावी लाभ उठाने की भी पूरी कोशिश की गयी | यहाँ नीचे कुछ पोस्टर दे रहा हूँ जो सोशल मिडिया में वायरल हो रहा है, ये फोटोशॉप है या असली है... इसकी पुष्टि मैं नहीं कर सकता आप स्वयं पता लगा लीजिये...
पिछले कुछ दशकों से धर्म के नाम पर राजनीति खेली जा रही थी और परिणाम यह हुआ कि धर्म का ही मजाक बन गया लेकिन नेताओं और पार्टियों का कुछ नहीं बिगड़ा, उलटे लाभ ही हुआ इनको | धर्म के नाम पर न जाने

तो आज हम राजनीति के नाम पर राजनीती का सबसे निकृष्ट स्वरुप देखने के लिए ठीक उसी प्रकार विवश हैं जैसे दुर्योधन के दरबार में विवश थे महापराक्रमी भीष्म और पाण्डव | क्योंकि जब स्वार्थियों और मूर्खों से भरे देश का राजा भी मुर्ख होता है, तब महाभारत होना निश्चित हो जाता है | और जब महाभारत होना निश्चित हो जाता है, तब विनाशकाले विपरीत बुद्धि वाली बात चरितार्थ होती है | इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मिल रहा है वर्तमान गाली-गलौज करने वाले असभ्य प्रजाति के अंधभक्तों, मूढ़-भक्तों द्वारा उपद्रव व कुतर्कों से | धूर्त राजनेताओं के पास तो अक्ल व समझ होती ही नहीं है यह तो प्रमाणित हो चुका है, भक्तों के पास भी तो अपना दिमाग नहीं होता कि वे कुछ चिन्तन-मनन कर सकें... वैसे भी भक्त होने का अर्थ ही अपना दिमाग प्रयोग मत करो, बस पीछे पीछे भेड़-बत्तख की तरह चलते रहो | मत पूछो कि सही क्या है और गलत क्या, बस फ़ॉलो करो और कोई विरोधी दिखे तो उस पर टूट पड़ो, बिना सही गलत समझे |
अंधभक्तों की हरकतों से तो हर सुलझा व जागरूक नागरिक परिचित होगा, लेकिन रामगोपाल वर्मा जैसे व्यक्ति से ऐसी आशा नहीं कर रहा था मैं कि वह भी अंध भक्ति में होश खो बैठेगा |

इससे पता चलता है कि कुछ लोग कितने ही ऊँचे स्तर पर पहुँच जाएँ आर्थिक व समाजिक रूप से, मानसिक रूप से बहुत ही निचले स्तर पर रहते हैं | इनको गुस्सा इस बात पर कि केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रमाण क्यों माँगा | तो प्रमाण माँगना जघन्य अपराध हो गया, लेकिन उसी सर्जिकल ऑपरेशन के नाम पर राजनैतिक लाभ लेना अपराध नहीं है इनके लिए | प्रमाण माँग लो तो सेना का अपमान हो जाता है, लेकिन उसी सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर मोदी की जय जय करने पर सेना का अपमान नहीं होता ? कुछ तो शर्म कर लो वर्मा जी और आपके जैसे मूढ़-भक्त !!!
तो कभी गाय की आढ़ लेकर, कभी राम की आढ़ लेकर, कभी हिंदुत्व की आढ़ लेकर ये राजनेता इसलिए ही चलते हैं क्योंकि इसमें इनको लाभ ही होता है | ये लोग इनकी आढ़ में कोई भी उपद्रव करें कोइ प्रत्युत्तर देगा तो तुरंत धर्म खतरे में पड़ जायेगा, गायमाता का अपमान हो जाएगा, सेना का अपमान हो जाएगा.... लेकिन ये उनकी आढ़ किसी को भी निशाना बना लें, किसी का भी शिकार कर लें... कोई पाप नहीं होगा, कोई अपमान नहीं होगा | और जनता भी इतनी मुर्ख कि इतनी छोटी सी बात नहीं समझ सकती |
मैं अपनी ही बात करूँ तो मैंने कभी किसी धर्म या उसकी मान्यताओं या उनके धार्मिक ग्रंथों का अपमान नहीं किया, लेकिन मुझपर हमेशा यही आरोप लगता रहा कि मैं धर्म का अपमान करता हूँ, धार्मिक ग्रंथों का अपमान करता हूँ, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचता हूँ | मैंने कभी किसी राजनैतिक पार्टी या नेता का अपमान नहीं किया, केवल उनकी करतूतों और उपद्रवों का ही विरोध किया है | फिर भी मुझपर यह आरोप लगता रहता है कि मैं किसी नेता विशेष का अपमान कर रहा हूँ या किसी राजनैतिक पार्टी का समर्थन या विरोध कर रहा हूँ |
ऐसा क्यों होता है ?
ऐसा इसलिए होता है कि जिसकी आढ़ लेकर नेता चलते हैं, भक्तों को वही दिखाई देता है | पीछे क्या चल रहा है, कौन सा षड्यंत्र चल रहा है, वह देखने का सामर्थ्य उनमें नहीं होता | न तो नेताओं और पार्टियों को राष्ट्र व उसके नागरिकों के हित से कोई मतलब होता है और न ही उनके समर्थकों और मूढ़-भक्तों को | उदाहरण के लिए सेना पर किसी ने कोई ऊँगली नहीं उठाई थी, बस जो मीडिया कह रही थी, जो नेता कह रहे थे, उसी के प्रमाण मांगे जा रहे थे, लेकिन अंधभक्तों ने ऐसा उपद्रव मचाया और कुतर्कों के इतने निचले स्तर पर गिर गये कि यह समझना कठिन हो गया कि वास्तव में किसी सभ्य संस्कारी माता-पिता की संतान हैं या किसी गन्दी नाली के |
लिखना तो बहुत कुछ चाहता था, लेकिन मैं जनता हूँ कि न तो इतना समय है किसी के पास और न ही इतनी सहनशक्ति | यदि आपने यहाँ तक पढ़ लिया है, तो आपने बहुत ही सहनशीलता का परिचय दिया है उसके लिए मैं आभारी हूँ | यह भी जानता हूँ कि यह पोस्ट भी अंधभक्तों के समझ के परे ही रहेगी हमेशा की तरह और इसके भी अर्थ ये लोग अपने ही अंदाज़ में निकालेंगे | फिर भी लिखना आवश्यक समझ रहा था इसलिए लिखा | वर्तमान राजनीती को देखें तो जार्ज कार्लिन की यह वकतव्य प्रासंगिक लगता है, "मूर्खों की भीड़ को कम आँकने की गलती न करें |" क्योंकि इन मूर्खों की भीड़ देश का ही नहीं, मानवता, शालीनता, सभ्यता का भी बेडागर्क करने में संकोच नहीं करेगी |
इन मूर्खों को पिछली कोई भी बातें याद नहीं... न एफडीआई और महंगाई का विरोध में छाती पीटना, न सर के बदले सर वाली बातें याद हैं, .... और आश्चर्य यह कि आज इनको महंगाई भी विकास दिखाई देने लगी !!! लेकिन हर बार नए उपद्रव के रास्ते खोज लाती है.. कभी गाय, कभी हिंदुत्व, कभी सेना, कभी देशद्रोह.. यह और बात है कि इनको देशद्रोह का अर्थ भी नहीं पता | देश में धर्म या जाति के नाम पर भेदभाव या नफरत फैलाने की गतिविधि राष्ट्रद्रोह है और इसी राष्ट्रद्रोह को करने वाले खुद को देशभक्त और दूसरों को देशद्रोही बता रहे हैं ~विशुद्ध चैतन्य
नीचे पोस्ट से ही सम्बंधित कुछ लिंक्स हैं..
'सर्जिकल स्ट्राइक' के बाद पाकिस्तानी ट्रकों में भरकर ले गए थे आतंकियों के शव
सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देने के लिए सेना कर रही फर्जी वीडियोग्राफी