09 जनवरी 2015

यह ध्यान रखें, जब तक हम आपस में सहयोगी हैं, दुनिया की कोई ताकत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती

"हमारे शेरों ने पैग़ंबर का बदला ले लिया है....ये हमारे शेर हैं. ये तो ख़ून की पहली बूंद है...अभी आगे और बाक़ी है. इन क्रूसेडरों को डरने दीजिए क्योंकि उन्हें डरना ही चाहिए." ~एक सीरियाई लड़ाके अबू मुसअब

(12-13वीं सदीं में इस्लाम और ईसाई धर्म के लोगों के बीच हुई लड़ाइयों में शामिल लोगों को क्रूसेडर कहा जाता है.)

जंगल में एक से बढ़कर एक धूर्त, मक्कार और वहशी जानवर रहते हैं, समुद्र में भी व्हेल, शार्क और मगरमच्छ से लेकर और न जाने कितने आदमखोर रहते हैं.... लेकिन इंसान के शक्ल में इन दानवों से अधिक लम्पट, धूर्त, मक्कार और खून के प्यासे वे नहीं हैं | वे हत्या केवल शौक के लिए नहीं करते और न ही आतंक फैलाना उनका उद्देश्य है | इन दरिंदों से भी खतरनाक वे लोग हैं जो, हमारे बीच शराफत का नकाब ओढ़े रहते हैं, हमसे ही व्यापार-व्यवसाय करके कमाते खाते हैं और इन दरिंदों को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक सहयोग प्रदान करते हैं | वे लोग जो हमारे मित्र बनकर हम लोगों में घुल-मिल जाते हैं लेकिन आतंकवाद का समर्थन करते हैं | हम यह सोचकर कि वे भटके हुए हैं, उन्हें सहन करते हैं, वास्तव में ये लोग हमें भटकाने के लिए ही हमसे जुड़े होते हैं | ये मानवता का ढोंग करते हैं जबकि भीतर शैतान अपनी चालें सोच रहा होता है |

इस प्रकार के लोगों का कोई ईमान-धर्म नहीं होता सिवाय आतंक और उपद्रव के | ये ऐसी नस्ल होती है जो सभी जाति, समप्रदाय व देशों में पाए जाते हैं | ये राष्ट्रवादिता और धर्मरक्षक होने का दावा करते हैं जबकि धर्म से इनका कोई लेना देना कभी रहा ही नहीं होता | धर्म-पथ ही नहीं धर्म-ग्रंथों का भी ये लोग सम्मान नहीं करते | बस अपने आका के ये गुलाम नफरत के बीज बोने, उन्हें सींचने और हरा भरा रखने के लिए ही पैदा होते हैं और वही करते हुए मर भी जाते हैं |

हम यह मानकर जीते चले जाते हैं कि काहे को झंझट में पड़ना, हम तो सभ्य लोग हैं, हम तो धार्मिक और शरीफ लोग हैं इसलिए ईश्वर हमारी रक्षा करेगा | अरे मूर्खो, ईश्वर जब उन मासूमों की रक्षा नहीं कर पा रहा जिन पर ये दानव अत्याचार करते हैं, उन महिलाओं की रक्षा नहीं कर पा रहा जिनकी अस्मत लुट रही है... कल बोकोहराम ने २००० लोगों को मौत के घाट उतार दिया और पूरे शहर को आग लगा दिया जिनमें १०००० से अधिक लोग थे और उनका पता नहीं चला... फिर भी ईश्वर इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो आप को ईश्वर कैसे सुरक्षित रख पायेंगे ?

ईश्वर तो सहायता करना चाहता है हर क्षण हर पल... लेकिन आप ही उसे मंदिरों-मस्जिदों में कैद रखे हुए हो | आप ही अपने भीतर बैठे वास्तविक ईश्वर की आवाज नहीं सुनना चाहते और धूर्त नेताओं और धर्मगुरुओं की बातों में आकर आपस में ही उलझे हुए हो, तो ईश्वर कैसे सहायता करेगा और क्यों करेगा ? जब ईश्वर से अधिक महत्व इन साम्प्रदायिक नेताओं और धर्म-गुरुओं को दे रहे हो जो कभी धर्म मार्ग पर रहे ही नहीं, तो ईश्वर क्यों सहायता करेगा ? क्या ऐसे ही आपस में लड़ते-झगड़ते जीना है ?

यह ध्यान रखें, जब तक हम आपस में सहयोगी हैं, दुनिया की कोई ताकत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती और न ही कोई सेना इतनी ताकतवर है कि हमारा बाल भी बाँका कर सकती है | लेकिन यही ताकत तोड़ने के लिए ये विदेशी एजेंट हमें आपस में बाँट रहे हैं और एक दूसरे के प्रति नफरत पैदा कर रहे हैं | ये उन्मादी बयान देते हैं और उन्हीं के खरीदे न्यूज़ चैनल उसका प्रचार-प्रसार करते हैं | अब भी यदि ऐसे लोगों को अपने सोशल मीडिया सर्कल से बाहर नहीं किया तो ये कई बच्चों और मानसिक रूप से कमजोर लोगों के दिमाग में नफरत भर देंगे | ऐसे लोगों को जितनी जल्दी हो सके अपने ग्रुप से बाहर कीजिये ताकि भीतर बैठे ईश्वर को विश्वास हो सके कि आप आतंकवादी व विघटन कारी तत्वों के साथ नहीं हैं | ~विशुद्ध चैतन्य

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