04 जनवरी 2015

मन + नियंत्रण = मन्त्र


मन्त्र अर्थात मन का नियंत्रण | जब हम कोई मन्त्र का जाप करते हैं तो मन इधर उधर नहीं भटकता और मन का संतुलन बना रहता है | बीस मिनट से अधिक जाप करने की स्थिति में ध्यान की अवस्था प्राप्त होने लगती है और धीरे धीरे ध्यान से आगे बढ़ कर कुछ लोग समाधि की अवस्था था पहुँच जाते हैं |

अब मन्त्र आप किसी भी भाषा में कहें, लेकिन यदि अर्थ समझ में न आये तो व्यर्थ है मन्त्र | यदि आप केवल एक मन्त्र "मैं कौन हूँ ? इस धरा में क्यों आया हूँ ?" का जाप नियमित सोने से ठीक पहले शुरू करें और मंत्रोचार करते हुए नींद की आगोश में समा जाएँ, तो कुछ ही दिनों में आप को आश्चर्यजनक परिणाम मिलने शुरू हो जायेंगे |


नोट: यह मेरा स्वयं का अजमाया व सिद्ध किया हुआ विशेष मन्त्र है और आज मैं कई वर्षो के प्रयोग के बाद सार्वजनिक कर रहा हूँ | यह एक मात्र ऐसा मन्त्र है जो जाति, धर्म, वर्ण, सम्प्रदाय, भाषा के बंधनों से मुक्त है और किसी भी भाषा में अनुवाद करके प्रयोग किया जा सकता है किसी भी मान्यता या जाति के स्त्री या पुरुष द्वारा | ~विशुद्ध चैतन्य

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