रामराज्य..... ऐसा नाम जो हर चुनाव से पहले सुनने को मिलता है और चुनाव के बाद दुर्योधनराज की चर्चा होने लगती है | हर कोई अपने नेता को शेर और विरोधी को गीदड़ दिखाने का प्रयास करता है...... लेकिन ये सब बच्चों वाली बातें हैं | आज तक मैंने राजीवगांधी और अटल बिहारी बाजपेयी को छोड़ कर ऐसा नेता नहीं देखा जिसे मैं शेर कह पाऊं...या परिपक्व या व्यस्क कह पाऊं |
अभी कुछ दिनों से जो कुछ दिख रहा है, उससे यह तो विश्वास हो रहा है कि भारत और उसके निवासी उतने बुरे नहीं है, जितना कि नेताओं और उनके दुमछल्लों द्वारा प्रचारित प्रसारित किया जाता रहा है | किसी को A+, B+ तो किसी को Z+ सिक्यूरिटी चाहिए होती है | यदि नेता जनता से किये वादे और जनता के प्रति वफादार है, तो जनता स्वयं ही उसकी रक्षा करेगी उसे किसी और सुरक्षा की आवश्यकता ही क्या है ? और जिस देश में मंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर जनता सुरक्षित कैसे हो सकती है ?
मैं यह नहीं कहता कि मुख्यमंत्री के शत्रु नहीं होंगे या उनको सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती... मैं केवल यह कह रहा हूँ कि मुख्यमंत्री भी एक इंसान होता है, उसे इंसान की तरह ही जीने दें | सुरक्षा ही देनी हैं तो शैडो सिक्यूरिटी भी दी जा सकती है जैसे कि इस तस्वीर में देखने को मिल रही |
सिक्यूरिटी ऐसी होनी चाहिए कि मुख्यमंत्री और अंतर्राष्ट्रीय कुख्यात कैदी में अंतर साफ़ दिखाई दे | कसाब या अन्य आतंकवादियों की सुरक्षा करिए... मुझे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि वे तो आतंकवादी होते हैं, सरकारी होते हैं... लेकिन कम से कम मुख्यमंत्री को तो इंसान बने रहने दीजिये ? क्योंकि वे तो जनप्रतिनिधि होते हैं जनता ही उनको चुनती है...
मुख्यमंत्री को ऐसे मॉर्निंगवाक् करते देख, लगता है कि शायद इसी को रामराज्य कहते हैं, न कि राम-मंदिर, घरवापसी, दस-पन्द्रह बच्चे.....को | बाकि रोबोट की तरह चलने वाला नेता चाहिए तो जवाहर लाल नेहरु से लेकर आज तक कई नेता देखे होंगे... कई नेताओं ने तो मौन ही धारण कर लिया था जैसे मौनी-मौनी और मौनी-मोदी | क्योंकि वे बेचारे नहीं जानते थे कि जिस कुर्सी पर वे बैठने जा रहे हैं वह आज भी आजाद नहीं है | वह तो आज भी अंग्रेजों और पूंजीपति व्यापारियों द्वारा संचालित रोबोट के लिए ही है | वहाँ बैठकर आज भी उसी कानून का पालन करना पड़ता है जो अंग्रेजों ने भारत और नागरिकों के शोषण करने के लिए बनाया था | मेरी बात का यदि विश्वास न हो तो स्वयं देख लें कि कांग्रेस कि जिन नीतियों और विधेयकों का भाजपा विरोध करती रही, वही आज उसकी अपनी नीति हो गयी... जिस प्रकार कांग्रेस के दुमछल्ले चिल्लाते रहते थे कि राष्ट्र का विकास हो रहा, वैसे ही भाजपा के दुमछल्ले चिल्ला रहे हैं |
दुःख की बात तो यह है यह बात समझने में राष्ट्र को इतने वर्ष लग गये कि ये नेता लोग पूंजीपतियों व्यापारियों और विदेशियों के विकास को ही विकास मानते हैं, न कि राष्ट्र व जनता के विकास को | अरबों ठगने के बाद कोई व्यापारी यदि एक आध पुल या मंदिर में लाख-दो लाख का चंदा चढ़ा देता है या स्कूल आदि बनवा देता है तो हम उसे भगवान् की तरह पूजने लगते हैं... लेकिन यह नहीं समझ पाए कि ये उसी विकास की बात कर रहे हैं जो अंग्रेज करते थे | आज भारत को लूट कर अंग्रेजों और व्यापारियों ने ही विकास किया है, भारत और उसके नागरिकों ने नहीं | नेता जिस विकास की बात करते हैं उसे यदि अधिक जानना है तो कभी झारखण्ड या छत्तीसगढ़ आइये, तो पता चलेगा कि यहाँ की खानों से जिंदल टाटा जैसे व्यापारी अरबों खरबों कमा गये, लेकिन जनता आज भी दो वक्त की रोटी और इलाज के लिए तरसती है |
नोट: इस पोस्ट को केजरी समर्थक अधिक न उछालें क्योंकि यह पोस्ट केजरी समर्थन में नहीं उनकी वर्तमान व्यवहार व नीतियों के समर्थन में है | उनका व्यवहार और नीतियाँ कांग्रेस या भाजपा की तरह बदली.. तो मैं भी बदल जाऊँगा | मुझे भी बदलने में उतना ही समय लगता है जितना समय नेताओं और पार्टियों को लगता है दल और नीति बदलने में | मुझसे किसी भी पार्टी या नेता की भक्ति की कोई आशा न रखें | मेरी भक्ति केवल राष्ट्र के प्रति है, नेता तो आते जाते रहेंगे, दल, पार्टियाँ और सिद्धांत बदलते रहेंगे.... लेकिन राष्ट्र का सिद्धांत नहीं बदल सकता, मानवता और प्रेम का सिद्धांत नहीं बदल सकता | यह पोस्ट पुर्णतः दिल्ली की जनता की एकता व निष्पक्षता को समर्पित है श्रृद्धापूर्ण नमन व प्रेम के साथ | मैं जानता हूँ कि यदि दिल्ली की जनता चाहे तो वहाँ कभी कोई दंगा होने ही न दें धर्म और जाति के नाम पर | -विशुद्ध चैतन्य

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