दूसरों द्वारा किये श्रेष्ठ कार्यों का सेहरा अपने सर बाँधना एक ऐसी परमपरा है जो विनाश व पतन का प्रमुख कारण बना हमेशा | उदाहरण के लिए हम भारतीयों का इतिहास ही देख लें.. जो भी है सच्चा-झूठा है...
कि हमारे पूर्वजों के पास पुष्पक विमान थे, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
हमारे पूर्वजों ने वेद और पुराण लिखे इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
राम ने रावण को हराकर सीता को छुड़ाया और विभीषण को लंका सौंप दिया, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया, अर्जुन को प्रवचन दिया, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, महाराजा शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई.... महान योद्धा थे, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं |
स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को आजाद करवाया इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
हमने उनकी मूर्तियाँ चौराहे पर लगवायीं, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं.....
जरा स्वयं से बार प्रश्न कीजिये कि उनके महान होने में आपका क्या योगदान रहा ?
न तो आपमें वह शालीनता है, न ही आपमें अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध है, न ही आपमें अर्जुन की तरह अधर्मियों के विरुद्ध खड़े होने का साहस है... आप तो अपने नेता और पार्टी का विरोध तब भी नहीं कर पाते जब वे किसी घोटालेबाज को अपने पार्टी में शामिल करते हैं.. केवल यह सोचकर कि न्यायालयों में अपने ही बन्दे हैं.. बाइज्जत बरी करवा लेंगे | लेकिन क्या आपकी आत्मा नहीं जानती की सच क्या है और झूठ क्या ?
आपने तो पूर्वजों के आविष्कारों को भी मंदिरों में सजा कर रख दिया.. कभी अनुसन्धान ही नहीं किया, न ही कभी उसे समझने का कोई जतन किया... तो फिर श्रेष्ठ कैसे हुए ?
आप कहते हैं कि विदेशी नहीं आयेंगे, बाहर से निवेश नहीं होगा तो राष्ट्र का विकास नहीं होगा... तो आपका अपना योगदान क्या है राष्ट्र के विकास में ? आप श्रेष्ठ कैसे हुए ?
श्रेष्ठ तो तब होते जब आपके अन्दर इतना साहस होता कि अपने किसानों और कमजोर वर्ग को समृद्ध करने के लिए आगे बढ़ते | श्रेष्ठ तो तब होते जब आप स्वयं को आत्मनिर्भर करने के लिए कोई प्रयोग करते | श्रेष्ठ तो तब होते जब आप कहते कि हम किसानों की जमीने नहीं बिकने देंगे, हम जंगल मैदान नहीं उजड़ने देंगे.. लेकिन हम विश्व में सर्वाधिक संपन्न व समृद्ध हो जायेंगे....
अब जरा ठन्डे दिमाग से सोचिये कि आप या आपका वर्तमान समाज श्रेष्ठ कैसे हुआ ? अपने ही देश में कुछ लोगों को बेघर किया जा रहा है.. उसकी आपको चिंता नहीं.. अपने घर के लोगों को सुरक्षा दे नहीं पा रहे.... निकले हैं धर्म की रक्षा करने.. घरवापसी करवाने..!!! ~विशुद्ध चैतन्य
कि हमारे पूर्वजों के पास पुष्पक विमान थे, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
हमारे पूर्वजों ने वेद और पुराण लिखे इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
राम ने रावण को हराकर सीता को छुड़ाया और विभीषण को लंका सौंप दिया, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया, अर्जुन को प्रवचन दिया, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्य, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, महाराजा शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई.... महान योद्धा थे, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं |
स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश को आजाद करवाया इसलिए हम श्रेष्ठ हैं !
हमने उनकी मूर्तियाँ चौराहे पर लगवायीं, इसलिए हम श्रेष्ठ हैं.....
जरा स्वयं से बार प्रश्न कीजिये कि उनके महान होने में आपका क्या योगदान रहा ?
न तो आपमें वह शालीनता है, न ही आपमें अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध है, न ही आपमें अर्जुन की तरह अधर्मियों के विरुद्ध खड़े होने का साहस है... आप तो अपने नेता और पार्टी का विरोध तब भी नहीं कर पाते जब वे किसी घोटालेबाज को अपने पार्टी में शामिल करते हैं.. केवल यह सोचकर कि न्यायालयों में अपने ही बन्दे हैं.. बाइज्जत बरी करवा लेंगे | लेकिन क्या आपकी आत्मा नहीं जानती की सच क्या है और झूठ क्या ?
आपने तो पूर्वजों के आविष्कारों को भी मंदिरों में सजा कर रख दिया.. कभी अनुसन्धान ही नहीं किया, न ही कभी उसे समझने का कोई जतन किया... तो फिर श्रेष्ठ कैसे हुए ?
आप कहते हैं कि विदेशी नहीं आयेंगे, बाहर से निवेश नहीं होगा तो राष्ट्र का विकास नहीं होगा... तो आपका अपना योगदान क्या है राष्ट्र के विकास में ? आप श्रेष्ठ कैसे हुए ?
श्रेष्ठ तो तब होते जब आपके अन्दर इतना साहस होता कि अपने किसानों और कमजोर वर्ग को समृद्ध करने के लिए आगे बढ़ते | श्रेष्ठ तो तब होते जब आप स्वयं को आत्मनिर्भर करने के लिए कोई प्रयोग करते | श्रेष्ठ तो तब होते जब आप कहते कि हम किसानों की जमीने नहीं बिकने देंगे, हम जंगल मैदान नहीं उजड़ने देंगे.. लेकिन हम विश्व में सर्वाधिक संपन्न व समृद्ध हो जायेंगे....
अब जरा ठन्डे दिमाग से सोचिये कि आप या आपका वर्तमान समाज श्रेष्ठ कैसे हुआ ? अपने ही देश में कुछ लोगों को बेघर किया जा रहा है.. उसकी आपको चिंता नहीं.. अपने घर के लोगों को सुरक्षा दे नहीं पा रहे.... निकले हैं धर्म की रक्षा करने.. घरवापसी करवाने..!!! ~विशुद्ध चैतन्य
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