
कई हज़ार साल पुरानी बात है | चुनमुन परदेसी बहुत ही उदास था और बहुत ही गुस्से में भी | लोगों ने कारण पूछा कि क्या हुआ तो वह चिडचिडे अंदाज में बोला, "अरे तुम क्या जानो क्या हुआ, तुम लोग तो नाचो गाओ, ख़ुशी मनाओ...."
सभी चौंक गये कि कुछ ख़ास ही बात हो गयी है | सभी घेर कर बैठ गये जानने के लिए कि आखिर हुआ क्या है | बहुत मान मनुव्वल के बाद चुनमुन इस बात पर राजी हुआ कि गम भुलाने के लिए पहले एक अद्धा मंगवाया जाये तब वह कुछ बोलेगा | आखिर अद्धा मंगवाया गया और चुनमुन दो पैग पीने के बाद बोला, "जानते कुछ इतिहास के बारे में ? फारुक ने जो प्लाट खरीद कर आज से तीस साल पहले मकान बनाया था उस प्लाट में गाय को दफनाया गया था !"
"तो ?" अरे तो इतनी पुरानी बात लेकर क्यों बैठ गये... अभी दुखी क्यों हो वह बताओ ?" सभी बोल पड़े "और जो वह पीपल का पेड़ है न, उसमें दो सौ साल पहले एक अंग्रेज लटक कर मर गया था !"
"अरे यार अभी दुखी क्यों हो वह बताओ ?"
अरे कभी इतिहास पढ़ा है तुम लोगों ने ? अरे तुम अनपढ़ों को क्या पता, एक समय था जब सूरज पृथ्वी के चक्कर लगाया करता था.... लेकिन एक पागल सुकरात ने आकर सारा खेल बिगाड़ दिया | अब बेचारी पृथ्वी को सूरज के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं | यह धर्मग्रंथो को पढ़ो तो पता चलेगा.... अरे जाहिलो..... कभी धार्मिक किताबें भी पढ़ लिया करो... सारा दिन बैठ कर ताश खेलते रहते हो..... " चुन्नू और दो पैग लगा चुका था और गाँव वालों का तेवर भी चढ़ने लगा था |
"वह जो रामदीन है न, उसके दादाजी को दिल का दौरा पड़ा था उससे मर गए..... "
अब गाँव वालों से रहा नहीं गया और सभी पिल पड़े उस पर..."अबे दिमाग खराब कर दिया सबका.... हमने सोचा कि कोई गंभीर समस्या हो गयी होगी इसलिए दुखी हो रहा है और यह बकवास पर बकवास किये जा रहा....."
तो यह तो एक छोटे से गाँव की छोटी सी कहानी थी... लेकिन आज भी चुनमुन परदेसी नस्ल के कट्टर धार्मिकों की कमी नहीं है जो धर्म के नशे में चूर होकर ऐसी ही हरकतें कर रहे हैं.... लेकिन अब लोग गाँव वालों की तरह अनपढ़ नहीं है... इसलिए ऐसे लोगों को धर्म की ठेकेदारी दे देते हैं बजाए कुटाई करने के | क्योंकि अब लोग पढ़े-लिखे हो गये हैं, अंग्रेजी जानते हैं ! ~विशुद्ध चैतन्य
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