17 सितंबर 2015

एक पंडित जी बोले कि ओशो बनने का बड़ा शौक चढ़ा हुआ है ?



जरा सोचिये यदि भगत सिंह, चंद्रशेखर, पंडित रामबिलास बिस्मिल, सुभाचंद्र बोस, खान अब्दुल गफ्फार खान, सैयद शाह रहमत...... और जितने भी स्वतंत्रता सेनानी रहे, वे सभी ब्रह्मज्ञानी हो गये होते तब क्या होता ? वे सभी 'मैं सुखी तो जग सुखी' के सिद्धांत पर चलने लगते तब क्या होता ? वे सब भी यही कहते कि कुछ नहीं हो सकता भारत का | अपना भला देखो, अपनी मोक्ष की फ़िक्र करो, अपने अपने दडबों में मस्त रहो....तब क्या होता ?

मुझे नहीं लगता कि कुछ फर्क पड़ने वाला था | हम तब भी अंग्रेजी बोलते थे और आज भी बोल रहे हैं | हम तब भी अंग्रेजों के पीछे भागते थे, आज भी भाग रहे हैं | हम तब भी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए विदेश जाते थे, आज भी जाते हैं | हम तब भी जाति और धर्म के नाम पर आपस में मारकाट में व्यस्त थे आज भी हैं | हम तब भी दो वक्त की रोटी के लिए जिन्दा थे आज भी हैं | हम तब भी मंदिरों में घंटियाँ बजाते थे आज भी बजाते हैं | हमें तब भी धर्म की कोई समझ नहीं थी और आज भी नहीं है | हम तब भी शासकों द्वारा शोषित होते थे लगान के लिए और आज भी होते हैं | बस तब लगान कहते थे आज पढ़े-लिखे हो गये इसलिए टैक्स कहते हैं |

तो शायद वे मुर्ख ही थे.....
नहीं नहीं... उन्होंने एक अच्छा काम तो किया ही था कि फाँसी पर लटक गये | अब कम से कम हमारे पास फोटो तो है उनकी अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए | अब कम से कम हम उनकी तस्वीरें शेयर करके देशभक्त होने का दावा तो कर सकते हैं | हम पन्द्रह अगस्त में उनकी समाधियों में फूल माला तो डाल सकते हैं.... क्या यह कम बड़ी बात है ? आज उनकी तस्वीर प्रोफाइल में लगा लो तो लोग सम्मान करने लगते हैं, कट्टर राष्ट्रभक्त कहने लगते हैं | तो वे हमारे लिए इसलिए ही पूजनीय हैं क्योंकि वे फाँसी पर लटक गये और हमारे लिए तस्वीरें छोड़ गये |

एक जैन साहब ने बताया कि महावीर आदि अनादी हैं | भारत का नाम ही उनके नाम पर पड़ा था.... मुझसे कहा कि आप जैन धर्म के विषय में उल्टा सीधा लिखते हो...... पहले जान लो जैन क्या है ?

अरे जब इतने बड़े देश के सवा सौ करोड़ लोगों को नहीं समझ में आया कि धर्म क्या है तो मेरी समझ में कहाँ से आ जायेगा कि महावीर क्या हैं, गौतम बुद्ध क्या हैं, कृष्ण क्या हैं, राम क्या हैं, कबीर क्या हैं, तुलसीदास क्या हैं, रैदास क्या हैं, मीरा क्या है.... मुझे तो आज तक यही नहीं समझ में आया कि ब्रम्हा क्या है, विष्णुं क्या है, महेश क्या है, पार्वती क्या है, काली क्या है, दुर्गा क्या है, सरस्वती क्या है, शारदा क्या है, भैरव क्या है, शनि क्या है........ उपर से हिन्दुत्त्व के ठेकेदार कह रहे हैं कि क़ुरान पढ़ो, इस्लाम को जानो..... अरे मुझे तो वेद समझ नहीं आया, पुराण समझ नहीं आया, गीता समझ नहीं आया, रामायण समझ नहीं आया, दुर्गाश्प्तशती समझ नहीं आया, हनुमान चालीसा समझ नहीं आया, नेता और अभिनेता चालीसा समझ नहीं आया......

अगर समझ में आ गया होता तो मैं भी आप लोगों की तरह कट्टरधार्मिक नहीं हो जाता ? मैं भी देश में नफरत के बीज नहीं बो रहा होता ? मैं भी उपद्रवियों और गुंडों मवालियों के हाथ में धर्म की ठेकेदारी सौंप कर आराम से अपने बीवी बच्चे नहीं पाल रहा होता ? मैं भी नहीं कह रहा होता ब्रह्मज्ञानियों की तरह कि दुनिया कभी नहीं सुधर सकती, दुनिया को सुधारने की चिंता छोड़ो और खुद को सुधारों | क्या मैं भी आप लोगों कि तरह धर्म के कम्बलों में छुप कर नहीं सो रहा होता..... ?

हे ईश्वर तूने मुझे अनपढ़ और बेअक्ल क्यों बनाया ? क्यों नहीं मुझे भी ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी या पेन्सिल्वेनिया युनिवर्सिट की डिग्री दिलवाई ताकि मैं भी अमेरिका जाकर सेटल हो जाता और गर्व से कहता मेरा भारत महान है | मैं भी शहीद भगत सिंह की तस्वीरें दिखाता और कहता कि हम महान देश भक्त हैं क्योंकि भगत सिंह फाँसी पर लटक गये थे | हम सच्चे धार्मिक हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने धर्म के लिए अपनी जान दी थी..... यह और बात है कि अब धर्म का मतलब हो गया है अवतारों, बाबाओं की पूजा अर्चना करना और घंटे घडियाल बजाना | बाकी कोई भूखा मरता है तो मरता रहे, दंगा होता है तो होता रहे, लोग आपस में मारकाट कर रहे हैं तो करते रहें.... क्योंकि हम धार्मिक हैं |

एक पंडित जी बोले कि ओशो बनने का बड़ा शौक चढ़ा हुआ है ?

अरे भाई मुझे कोई ओशो वोशो नहीं बनना | आप बन जाओ वह जगह खाली है आप पहुँच जाओ और जाकर कहो कि मुझे सारे शास्त्र कंठस्थ हैं, अमेरिका की डिग्री भी है... मुझे ओशो बना दो | हो सकता है वे लोग आपके चरणों में गिर जाएँ और आपको ओशो बना दें | मुझे कोई धर्म गुरु भी नहीं बनना उसके लिए मेरे जैसा अंगूठाछाप अनपढ़ कहीं से भी फिट नहीं बैठता |

एक सज्जन कह रहे हैं कि आप क्या सिद्ध करना चाहते हैं कि आप को ही सारी दुनिया का ज्ञान है और बाकी सभी मुर्ख हैं ?

मैंने तो ऐसा कभी नहीं कहा ! मैंने तो हमेशा सभी को ज्ञानी ही माना है चाहे वह रामनामी तोता ही क्यों न हो... उसे भी मैंने सच्चा धार्मिक और मुझसे लाख गुना अधिक ज्ञानी माना है |

हाँ एक बात तो है... .कि मेरी आत्मा अवश्य आज संतुष्ट है कि मैं अनपढ़ रह गया | अमेरिका नहीं गया ! ~ विशुद्ध चैतन्य

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