
क्या कभी आपने सोचा है कि दुनिया का सबसे विद्वान व्यक्ति भी केवल उतना ही जानता है, जितना उसने पढ़ा, देखा या जाना है ? लेकिन उसे अहंकार हो जाता है कि वह सबकुछ जानता है और आश्चर्य तो उनपर मुझे अधिक होता है, जो केवल किताबों को रटकर मान लेते हैं कि उन्हें बहुत ज्ञान हो गया | वास्तव में यह ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि उसे पूरी तरह जान लेने में मानवों को अभी कई लाख वर्ष लग जायेंगे |
और ऐसी स्थिति में नास्तिकों पर मुझे तरस आता है, तरस आता है उन धार्मिकों पर जिनकी दुनिया सैंकड़ों वर्ष पहले लिखी गई किताबों पर सिमट कर रह गयी | ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक है इसलिए यदि किसी को इनकी किताबों से अलग कोई ज्ञान प्राप्त हो जाये या कोई अनुभव हो, तो ये विद्वानों का समाज उसे मानसिक रोगी कह देता है या फिर भ्रमित या फिर मुर्ख कह देता है |
लेकिन इस ब्रहमांड में कई ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं जिन्हें खोजना जानना अभी बाकी है जैसे;
- अंतरिक्ष में 80 फीसदी से ज्यादा पदार्थ दिखाई नहीं देता और इसे डार्क मैटर कहते हैं. आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि डार्क मैटर किस चीज से बना है. डार्क मैटर का पता 60 साल पहले चला था लेकिन आज तक इसके होने की पुष्टि नहीं हो पाई है.
- माना जाता है कि अंतरिक्ष की कुल ऊर्जा का 70 फीसदी हिस्सा डार्क ऊर्जा है. यह अंतरिक्ष के फैलाव के फलस्वरूप पैदा हुई. यह ऊर्जा स्थिर या परिवर्तनशील है, यह अब तक ज्ञात नहीं.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
No abusive language please