“Care about what other people think and you will always be their prisoner.” - Lao Tzu -

यदि आप इतिहास उठाकर देख लो, तो आप पायेंगे कि इतिहास उन्होंने ही रचा, जिन्होंने दुनिया कि परवाह नहीं की | जैसे कि रानी लक्ष्मी बाई, रजिया सुलतान, सुकरात, जीसस, स्वामी विवेकानंद, ठाकुर दयानंद देव, ओशो आदि | वहीँ दूसरी तरफ रावण, हिटलर हैं जो अमर हो गये | और वर्तमान में मोदी जी हैं, राजनेता हैं जो दुनिया की परवाह नहीं करते, धंधा करने आये हैं कर रहे हैं, फिर लोग मरते हैं तो मरते रहें, दंगे होते हैं तो होते रहें, किसान मरते हैं तो मरते रहें, धर्म और जाति के नाम पर उत्पाती उत्पात मचाते हैं तो मचाते रहें, राष्ट्र में अराजकता फैलता है फैलता रहे... बस जो करने आये हैं वह कर रहे हैं, फिर दुनिया कुछ भी कहती है कहती रहे |
दोनों ही पक्ष हैं और दोनों के ही समर्थक, सहयोगी हैं फिर वह लक्ष्मीबाई हो या हिटलर, राम हो या रावण | और दोनों ही पक्षों के विरोधी और शत्रु भी होते हैं फिर वह मोदी हो या केजरीवाल, ओसामा हो या ओबामा |
क्या अपने कभी सोचा है कि जो कल तक महँगाई, एफडीआई को डायन बताते सड़कों पर लोट रहे थे, वे ही आज उसे विकास की अम्मा बाते हुए गर्व कर रहे हैं और उन्हें तनिक भी लज्जा क्यों नहीं आ रही ?
क्योंकि वे इस बात की परवाह नहीं करते कि दुनिया क्या कहेगी |

लेकिन जो सही का समर्थन और गलत का विरोध करता है, उसे वही भीड़ धर्म समझाती है | उसे समझाती है कि उसका धर्म क्या है, उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए | वह भीड़, जिसे शर्म नहीं आती उनका समर्थनक करते हुए, जो किसानों आदिवासियों की भूमि छीन रहे हैं, जो देश में धर्म और जाति के नाम पर नफरत सुलगा रहे हैं, जो समाज में शान्ति व सौहार्द स्थापित करने के स्थान पर अराजकता फैला रहे हैं....| भयभीत कायरों की भीड़ अधर्म का साथ देने में भी संकोच नहीं करती.... इसलिए जो जागृत हैं, जो होश्पूर्ण हैं, वे भी रानी लक्ष्मीबाई, सुकरात, ओशो की तरह इन भेड़ों के भीड़ की परवाह नहीं करते | इन भेड़ों की भीड़ की परवाह जब अधर्मी नहीं करते, तब धर्ममार्ग पर चलने वाले क्यों करें ?
और धर्म कहता है, अत्याचारी, अन्यायी, जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों का साथ देना अधर्म है | धोखेबाज, जुम्लेबाजों का साथ देना अधर्म है | और अधर्म का साथ देने वालों से भयभीत होना
जघन्य अपराधों से भी बड़ा अपराध है | जो मुझसे पूछते हैं कि सिस्टम या व्यवस्था कैसे बदली जाए उन्हें स्वामी विवेकानंद को पढ़ना चाहिए, उन्हें बिनोबा भावे से प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया और कम्म्युनिस्टों के आतंक से समाज को मुक्ति दिलाई | और यदि इन सब से प्रेरणा नहीं ले पाए तो व्यर्थ है यह पूछना कि सिस्टम कैसे बदला जाए | ~विशुद्ध चैतन्य