सनातनी होना वास्तव में बहुत ही कठिन है | यह इतना विराट भाव है, कि संकीर्ण मानसिकता की बुद्धि में नहीं समा पाता | लोगों को यह लगता है कि सनातन तो बिना नियम का कोई धर्म होगा और यदि कोई सनातनी हो जायेगा तो वह बेलगाम हो जाएगा | इसलिए लोगों को लगाम वाला धर्म ही पसंद आता है, जो कि वास्तव में केवल किसी कबीले, किसी मजहब, किसी रिलिजन, किसी सम्प्रदाय, गाँव, देहात बस्ती आदि का नियम कानून होता है | उसे प्रभावी बनाने के लिए ईश्वर का भय दिखाया जाता है |
लेकिन जो ताकतवर होता है वह जानता है कि ईश्वर उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, इसलिए वह इन ईश्वरीय किताबों में दिए गये किसी कबीले, सम्प्रदाय के नियमों को नहीं मानता | अब चूँकि ताकतवर के पास, बाहुबल से लेकर अपराधियों तक को खरीदने की ताकत होती है, इसलिए धर्मों के ठेकेदार कहते फिरते हैं कि ईश्वर/अल्लाह सब देख रहा है, देखना एक दिन वह सजा अवश्य देगा | और जनता को इसी भ्रम में डाले, खुद उनके साथ मिलकर ऐश करते रहते है |
पूरा का पूरा देश बर्बाद हो जाता है और न ईश्वर को भनक लगती है और न ही अल्लाह को | दोनों को उनके एजेंट मैसेज भेजते रहते हैं की यहाँ सब ठीक ठाक चल रहा है कोई दिक्कत की बात नहीं है... आप आराम से अंगूर खाओ और अपने हूरों, अप्सराओं के साथ जन्नत, स्वर्ग के मजे उड़ाओ | और ये ईश्वर/अल्लाह के एजेंट दुनिया भर को मुर्ख बनाकर गुलाम बनाए रखते हैं |
तो सनातन धर्म ईश्वर और आपके बीच से ऐसे किसी भी एजेंट को हटा देता है | आपका और ईश्वर का सीधे सम्बन्ध रहता है | फिर साथ ही आपको पूरी छूट भी देता है कि आप ईश्वर से संपर्क करने के लिए अपनी सुविधानुसार जो सही लगे वह विधि अपनाओ | सनातनी किसी को जाति, पंथ, मत-मानयताओं, खान-पान, संस्कृति, समाज आदि के आधार पर नहीं देखता | सनातनी सभी को केवल मानव, पशु, पक्षी, जलचर आदि के रूप में ही देखता है | इसी सनातन धर्म का अंग्रेजी संस्करण है सेक्युलरिज्म |
अब कई लोग हैं दो चार दिन के लिए सेक्युलर हो जाते हैं, लेकिन फिर उन्हें बेचैनी होने लगती है | जैसे चूहे को बिल से बाहर निकालकर खुले में रख दो, तो वह घबरा जाता है और बिल खोजने लगता है | स्वाभाविक ही है क्योंकि उसके शत्रु कई हैं तो खुले में घूम ही नहीं सकता | लेकिन सनातनी उस गोल्डन ईगल की तरह होते हैं, जिनके लिए सम्पूर्ण आकाश उनका होता है, सम्पूर्ण पृथ्वी उनकी होती है | वे मस्त व निर्भीक आकाश में उड़ते रहते हैं | ऐसा नहीं है कि उनके शत्रु नहीं होते.. लेकिन वे ईश्वर के भरोसे होते हैं |
तो मानव तो गोल्डन ईगल से अधिक शक्तिशाली व बुद्धिमान प्राणी होता है, वह चूहों की तरह क्यों जीता है ? दो चार दिन के लिए कोई सेक्युलर यानि सनातनी हो जाता है और फिर वापस अपने दड़बे में दुबक जाता है | ~विशुद्ध चैतन्य
